रविवार, 9 अक्टूबर 2016

मेरी कलम तुम्हारे नाम

उसका नाम लिख-लिख के मिटाना भूल जाता हूं...उसको जब भी याद करता हूं तो भुलाना भूल जाता हूं!
बहुत सी ऐसी बातें हैं जो मेरे दिल में रहती है...पर जब भी उससे बात करता हूं सुनाना भूल जाता हूं !
वो साथ नहीं हैं तो हर पल बड़ी मुश्किल से कटता हैं... पर चाह कर भी ये बात उसको बता नहीं पाता हूं !
मैं हर शाम सोचता हूं कि उसको भूला जाउगा...मगर जब सुबह होती है तो भुलाना भूल जाता हूं !


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