रविवार, 9 अक्टूबर 2016

ये छोटी सी दुनिया मेरी

कितनी छोटी सी हैं ये दुनिया मेरी, एक मैं हूं....एक मोहब्बत तेरी !
कोई तुमसे पुछे कौन हूं मैं, तुम कह देता कोई खास नहीं!
एक दौस्त है कच्चा-पक्का सा,एक झुठ है आधा सच्चा सा!
जस्बात को ढ़कने की ख़ातिर, एक बहाना है अच्छा सा !
उम्र का एक साथी है, जो दूर होकर भी पास नहीं!
कोई तुमसे पुछे कौन हूं मैं, तुम कह देता कोई खास नहीं!
एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है....यादों में जिसका एक चहरा सा रह जाता है!
यू तो उसके ना होने का कोई गम नहीं है, पर कभी कभी आंखो से दर्द बनकर बह जाता है!  
रहता तो वैसे मेरे खयालों में है, पर इन आंखो को उसकी तलाश नहीं
कोई पुछे तुमसे कौन हूं मैं, तुम कह देता कोई खास नहीं!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय प्रेम कथा

#पार्ट_1 नोट- ये कहानी काल्पनिक हो सकती है इसको अन्यथा न ले बस रोमांच के लिए इसको पढ़े तो बेहतर होगा।। प्यार, मोहोब्बत, इश्क़, वफ़ा ये वो शब्द ...