एक लड़की थी मासूम सी... अभी उसको सही गलत की
समझ नहीं थी... सातवीं क्लास में पढ़ती थी वो... मैडम के सवाल पुछने पर अब भी उसकी
जवान लड़खड़ाती थी.... उसके अरमान तो सितारे तोड़ने के थे... वो क्लास में बार-बार
बोलती थी मुझे बहुत बड़ा इंसान बनना है... मैं चांद पर जाना चाहती हूं... आसमान को
छुना चाहती हूं.... वो छोटी सी लड़की और उसके महंगे-महंगे खूआब... उस लड़की का नाम
रिहाना था... परिवार से बहुत गरीब थी बेचारी... घर में सबसे बड़ी बेटी रिहाना... अब्बा
जब काम से घर लौटते तो रिहाना को खूब समझाते.... रिहाना हस हस कर सारी बातें
सुनती.... समय की इस दौड़ में रिहाना अब 16 साल की हो चुकी थी... पर उसकी सोच उसकी
ऊम्र से कई ज्यादा बड़ी थी ठिक उसके खूआबो की तरह.... घर में अब्बा की तबैयत भी ख़राब
रहती थी... घर के खर्च चलना मुश्किल था... घर के बिगड़ते हालात देख मां ने कोठियों में बर्तन, कपड़े धोने का काम करना शुरू कर दिया
था... छुट्टी वाले दिन रिहाना भी अम्मी के साथ काम पर पर जाती थी... घर के हालात
देख उसके सपने एक के बाद एक टूटते जा रहे थे.... पर कही ना कही एक आस बाकी थी....
फिर अचानक एक दिन अब्बा की तबैयत ज्यादा ख़राब हो गई... उस वक्त घर में सिर्फ 325
रुपय ही थे... हकीम ने बताया की अब्बा को टि.बी की बिमारी है.... रिहाना और अम्मी
दोनों अंदर से पूरी तरह टूट चुके थे.... हकीम साहब ने अब्बा को बिल्कुल काम करने
को मना किया था... अब घर की सारी जिम्मेदारी अम्मी और रिहाना के ऊपर थी... इसके
बाद रिहाना ने अपने सपनो के साथ समझोता कर स्कूल जाना छोड़ दिया... एक बार को
अम्मी ने बोला तो स्कूल मत छोड़ पर वो भी मजबूर थी... घर का खर्च उठाना मुश्किल
था... तो फिर अम्मी ने रिहाना को भी काम पर लगा दिया.... रिहाना और अम्मी के सारे पैसे
अब्बा की दवाई और दोनों बहनो की पढ़ाई में लग जाते थे... पर रिहाना ने ठानी थी कि
वो अपनी बहनो को खूब पढ़ाएगी... समय बीत रहा था और अम्मी को रिहाना के निकहा की
चिंता सताने लगी थी... जबकी रिहाना अभी महज़ 16 साल की थी... कई बार अम्मी ने
रिहाना को बोला भी पर रिहाना ने उनकी बात को झट से मना कर दिया... अम्मी ने रिहाना
के लिए एक लड़का देखा रखा था... वो रिहाना के कानपुर वाले खालू का बेटा याकूब
था... ऑटो चलाने का काम करता था... अम्मी को वो पसंद भी था... पर रिहाना समझदार
थी.. और अम्मी को समझाती थी...और जब भी अम्मी इस बारे में बात करती तो वो टाल देती...
क्योकी याकूब की पहले भी एक बार शादी हो चुकी थी... उसको चिंता सता रही थी की उसके
जाने के बाद अम्मी घर को अकेला कैसे संभाल पाएगी... पर उस दिन अम्मी ने भी ठान ली
और रिहाना को साथ बैठाकर लाख बार समझाया.... उस दिन अब्बा भी वहां मौजूद थे...
अब्बू अम्मी रिहाना को अपनी बातों से उन सपनो में वापस लेकर जा रहे थे जो वो बहुत
पहले देख कर छोड़ चुकी थी... अम्मी का कहना था कि वो तुझे खुश रखेगा... हमे तो तुझे
एक ना एक दिन छोड़कर जाना ही है... तेरे बाद तेरी दोनों बहनो की भी शादी करनी
है... घर की छोड़ रिहाना अब मन ही मन कई सपने एक बार फिर देख रही थी.... अम्मी ने
रिहाना के निकाह को कुछ रुपए पहले से ही जोड़ रखे थे... उन ठोड़े से पैसो में ही अम्मी
ने रिहाना का निकाह किया.... निकाह के हफ्तें भर तक रिहाना बहुत खुश थी... एक एक
कर उसके सारे सपने पूरे होते जा रहे थे... धीरे-धीरे वो अपनी नई दुनिया में कदम रख
रही थी... पर फिर कुछ ही दिनो बाद याकूब ने रिहाना को मारना-पीटना शुरु कर दिया...
और उससे पैसो की मांग करने लगा... फिर अगले ही हफ्ते रिहाना अपने घर आई तो अम्मी
ने पुछा भी तो रिहाना ने याकूब के बारे में कुछ नहीं बताया.... उसने सोचा की समय
के साथ सब बदल जाएगा... दो दिन बाद फिर रिहाना को याकूब का फोन आया... शायद फोन पर
वो रिहाना को पैसो के लिए बोल रहा था... क्योकी याकूब ने उसको घर से पैसे लाने के
लिए बोला था... इन बातों के बीच ना जाने याकूब ने फोन पर ऐसा क्या बोला कि रिहाना
के हाथ से एक दम फोन गिर गया... और वो जोर जोर से रोने लगी.... उस वक्त अम्मी वहीं
मौजूद थी... अम्मी ने पुछा तो रिहाना ने कुछ ना बताया और रोते रोते कमरे में जाकर झट
से कमरे का दरवाजा बंद कर लिया.... अम्मी ने कई बार दरवाजे को पीटा... पर अंदर से
कोई आवाज नहीं आई तो अम्मी काफी डर गई... वो जल्दी ही घर के बाहर गई और लोगों को
बुलाया... जब कमरे का दरवाजा तोड़ा... तो रिहाना पंखे से झुल रही थी.... अम्मी तो
वही पर बेहोश हो चुकी थी अब्बा की आंखे आंशू से लाल थी... पर इन सबके बीच रिहाना
की सांसे अभी भी चल रही थी.... रिहाना को पंखे से उतारा गया और मुंह पर पानी मारा
गया तो रिहाना को होश आया.... ना जाने ऐसा क्या हुआ जो रिहाना ने ये कदम उठाया
था... आखिरकार रिहाना को याकूब ने फोन पर क्या बोला था? ऐसे ही कई सवाल उस वक्त रिहाना के जवाब
का इंतजार कर रहे थे... याकूब के फोन पर बोले गए तीन शब्दों ने रिहाना की जिंदगी
पलट कर रख दी थी... याकूब ने फोन पर रिहाना को तलाक...तलाक...तलाक बोल दिया था....
इसके बाद रिहाना को चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा नज़र आ रहा था... उसके बात रिहाना
के याकूब से लाख बार बात करने की कोशिश की पर याकूब ने उसकी एक ना सुनी.... वक्त
चलता गया... रिहाना ये समझ गई थी की याकूब अब वापस नहीं आने वाला.... शायद रिहाना
की गलती थी की वो अपने साथ दाहेज लेकर नहीं गई थी... इसके बाद दिन रात में गुजरे
और रातें महिनो में...एक रोज रिहाना को पता चला वो पेट से है... अब तो वो मर भी
नहीं सकती थी.... क्योकी उसका धर्म और इंसानियत दोनों ही उसको इस काम की इजाजत
नहीं देते... ये बातें कई साल पुरानी है... इस हादसे को बीते लगभग 15 साल हो चुके
है... रिहाना की बेटी सलमा अब 10 वीं क्लास में है.... अभी तक रिहाना इंसाफ मांग
रही है... याकूब रिहाना के बाद दूसरी शादी कर चुका है....उसके तीन बच्चे भी है...
बाद में रिहाना को पता चला की पहली वाली से भी याकूब को एक बच्चा हुआ था... रिहाना
आज भी घर घर जाकर लोगों के बर्तन धोती है... अब जब भी सलमा रिहाना से अपने अब्बा
के बारे में पुछती है तो वो खमोश हो जाती है... शायद अभी तक उसने सलमा को याकूब के
बारे में नहीं बताया... रिहाना आज भी उन तीन शब्दो को नहीं भुल पाई है जिन्होंने
उसकी दुनिया उजाड़ दी... और हर किसी से एक सवाल करती है क्या ये संभव है?
नई उम्र का लड़का हूं पुराने ख्यालातों का ! न मैं आस्तिक न मैं नास्तिक बातें करू मैं वास्तविक।
गुरुवार, 27 अक्टूबर 2016
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय प्रेम कथा
#पार्ट_1 नोट- ये कहानी काल्पनिक हो सकती है इसको अन्यथा न ले बस रोमांच के लिए इसको पढ़े तो बेहतर होगा।। प्यार, मोहोब्बत, इश्क़, वफ़ा ये वो शब्द ...
-
वो चालाक सी लड़की अब कमाल सी लगती है , जब देखा था उसे तो कुछ खास नहीं थी … आज वही बेमिसाल सी लगती है। शायद मुझे...
-
कल रात एक ख्याब ख्याबों में आया है, जिसने मुझे जिंदगी जीने का सलिखा सिखाया है। मुझे अच्छे से पता है वो खत किसी और का है , महज बस मेरे पत...
-
एक लड़की है अच्छी सी जिससे मेैं प्यार करता हूं एक लड़की है आधी सच्ची सी जिससे मेैं प्यार करता हूं पर वो जानकर भी अंजान है कि मैं किससे...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें