कभी वो भी मुझसे बेपनाह प्यार करता था, जिससे आज मैं करता हूं।
कभी वो भी मेरे लिए खूब पड़पता था, जिसके लिए आज मैं पड़पता
हूं।
मैं अक्सर उसको छोड़ के जाने की धमकीयां दिया करता था, उसी
का इंतजार करता हूं।
और जिसको रात भर जगाकर बेचैनी से सो जाया करता था, आज उसको ख्वाब
में याद करता हूं।
मिला था तो कदर ना की कभी उसकी, आज उसी को मंदिर मस्जिद
गिरजाघर में तलाश करता हूं।
और जिसका कभी फोन उठाना भी जरुरी नहीं समझा, ना जाने आज दिन
में उसे कितनी दफा फोन करता हूं।
याद है उसके रोने पर मैं हस दिया करता था, आज उसी के लिए
अपने आंसू निलाम करता हूं।
उसने तो सारी हदे तोड़ दी थी वफ़ा की, मैं पागल जो उसे अब
भी उसे बेवफा समझता हूं।
वो साथ था तो लगता था दुनिया साथ है मेरे, जब से गया है भरी
भीड़ से खुद को अकेला करता हूं।।
और संभव हो तो लौट आओ, मैं अपनी गलतियां मानकर खुद को तेरे नाम करता हूं।