सोमवार, 7 नवंबर 2016

तुने समझा नहीं मुझे...

वो इतने पास थी मेरे, फिर भी कभी समझी नहीं मुझे
इस बात का दुख तो बहुत है,पर बिल्कुल भी शिकवा नहीं मुझे
मैं तुझे बेवाफा का खिताब कैसे दू, तुने तो एक पल भी सोचा नहीं मुझे
चहा तो तुझे एक सपने कि तरह था, पर तुने तो कभी देखा भी नहीं मुझे
कोयला समझकर रास्ते पर रख दिया, अफसोस तुने परखा नहीं मुझे

कब ठहरना था मुझे तुम्हारे पास, अच्छा हुआ तुमने भी रोक नहीं मुझे

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