आज लंबे समय बाद वो लड़का स्कूल समय से पोहचा था हर रोज की तरह आज प्राथना शुरू नहीं हुई थी पहले वो जब भी सुबह स्कूल के गेट में घुसता हो उसको स्कूल के टीचर पहले ही रोक लेते और अलग लाइन में खड़ा कर देते जहाँ बाद में उसे उठक-बेठक लगानी पड़ती पर आज ऐसा नहीं था आज मनीष (काल्पनिक नाम) किसी खास मकसद से स्कूल आया था प्रेरेर कि लाइन में पीछे खड़े मनीष को आज टीचर्स भी अलग नज़र से देख रहे थे क्यों आज मनीष बाकी दिनों से एकदम अलग लग रहा था आज उसके जूतों की पोलिश से लेकर कमीज़ की प्रेस बता रही थी कि बीते दिनों कुछ तो हुआ है... जिसको देख सब अचंभित थे और सबके मन में एक ही सवाल था.. क्या ये बदलाव उम्रभर वाला है या चंद दिन बाद मनीष फिर वैसे पहले की तरह हो जाएगा, नहीं.... मनीष बदल जाएगा... पर आखिरकार इतना बड़ा बदलाव आया तो कैसे आया और क्यों ? इसके पीछे का राज स्कूल से जुड़ा हर शख्स जानना चाहता था क्योंकि पिछले 9 साल में किसी ने भी मनीष को इस लय में राष्ट्रीयगान और बंदेमातरम गाते नहीं देखा था, वो बाकी दिनों से बिल्कुल अलग था, जैसे ही ड्रम की आवाज़ ने क्लास में जाने का इशारा किया तो मनीष को आज टीचर्स की भीड़ ने घेर लिया था, और आज मनीष ने मुस्कुराते हुए उन्हीं लोगों से बात कर रहा था जिन्हें वो देखना पसंद तक नहीं करता था ये परिवर्तन एक दम अधबुद्ध था सब एक नज़र ताने उस लड़के को देखे जा रहे थे।
पर पीछे खड़े होकर इस बदलाव को बड़े ध्यान से देख रहा था मानो उसने अपनी हाथों में कोई तस्वीर पकड़ी हो और उस तस्वीर से मनीष को मिला रहा हो पर उसकी आंखें बता रही थी कि अभी भी कोई चीज़ है जो मनीष से छूट गई जिस चीज़ की कमी उस शख्स को महसूस हो रही है पर आखिर वो कौनसी चीज़ है? मनीष को घूरती उन आंखों को न जाने मनीष में किस चीज़ की तलाश है शायद उन्हें मनीष के छोटे हुए बाल अच्छे नहीं लग रहे, नहीं ऐसा नहीं है क्योंकी मनीष के बालों की तारीफ़ आज हर कोई कर रहा है पहले लंबे बालों में वो गुंडा जैसा दिखता था फिर ये आंखे मनीष को क्यों घूर रही हैं? और इन आँखों के कदम मनीष की तरफ क्यों बढ़ रहे हैं क्योंकि जिस तरह से ये कदम आगे बढ़ रहे हैं ये मनीष की तारीफ़ तो करने बिल्कुल नहीं आ रहे इन आँखों को देख कर लग रहा है ये सीधे जाकर मनीष के कानों को पकड़ेंगे।
अगले पार्ट मैं उस शख्स का खुलासा होगा....
पर पीछे खड़े होकर इस बदलाव को बड़े ध्यान से देख रहा था मानो उसने अपनी हाथों में कोई तस्वीर पकड़ी हो और उस तस्वीर से मनीष को मिला रहा हो पर उसकी आंखें बता रही थी कि अभी भी कोई चीज़ है जो मनीष से छूट गई जिस चीज़ की कमी उस शख्स को महसूस हो रही है पर आखिर वो कौनसी चीज़ है? मनीष को घूरती उन आंखों को न जाने मनीष में किस चीज़ की तलाश है शायद उन्हें मनीष के छोटे हुए बाल अच्छे नहीं लग रहे, नहीं ऐसा नहीं है क्योंकी मनीष के बालों की तारीफ़ आज हर कोई कर रहा है पहले लंबे बालों में वो गुंडा जैसा दिखता था फिर ये आंखे मनीष को क्यों घूर रही हैं? और इन आँखों के कदम मनीष की तरफ क्यों बढ़ रहे हैं क्योंकि जिस तरह से ये कदम आगे बढ़ रहे हैं ये मनीष की तारीफ़ तो करने बिल्कुल नहीं आ रहे इन आँखों को देख कर लग रहा है ये सीधे जाकर मनीष के कानों को पकड़ेंगे।
अगले पार्ट मैं उस शख्स का खुलासा होगा....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें