कल रात एक ख्याब ख्याबों में आया है, जिसने
मुझे जिंदगी जीने का सलिखा सिखाया है।
मुझे अच्छे से पता है वो खत किसी और का है,
महज
बस मेरे पते पर आया है।
शायद उसे पढ़ने की हिम्मत नहीं है मुझ में,
फिर
भी मैं ने उसे सीने से लगाया है।
रास्ते अलग है दोनों के, फिर भी उसने मुझे मंजिल
का पता बताया है।
ना जाने मैं सही हूं या गलत, पर बहुत कीमती है
वो एहसास जो उसे छूकर आया है।
शायद पिछले जन्म का कोई अधूरा रिश्ता है, जो
उसने इस जन्म में निभाया है।
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