सोमवार, 8 जून 2020

मुझे नहीं पता ये कोरोना क्या है?


कोरोना कितना खतरनाक है कितना डराने वाला है ये आप किसी भी न्यूज़ चैनल पर देख सकते है... पर मसला ये है कि ये क्यों आया, कहा से आया, कब तक रहेगा, कितनों की मौत होगी, कितने संक्रमित होंगे और भी फला फला। ये भी आपको अलग अलग प्रकार के ज्ञानी अलग अलग तर्क देकर समझा देंगे।
खैर अब आइए मुद्दे पर और इससे होने वाले नुकसान पर जाइए रोजगार और अर्थव्यवस्था की बात नहीं कर रहा और मैं क्यों करू जब सरकार ही नहीं कर रही तो।
इसके आने से हमारे बीच के तनाव को देखिए और सोचिए खुदा ना ख़स्ता कल को ये कोरोना हम में से किसी को हो जाए तो लोग आपको किस नज़र से देखेंगे?
आपके मौहल्ले वाले आपसे बात करेंगे?
आपके कितने रिश्तेदार आपसे दूरी बनाएंगे?
और आपकी मौत हो गई तो आपको कंधा देने के लिए 4 लोगों की व्यवस्था कैसे होगी?
ऐसे ही बहुत सारे सवाल हैं जिसका आप जवाब तलाश करेंगे तो खुद की नज़रों में खुद को गिरा हुआ पाएंगे क्योंकि आपको पता है कि उस मौहल्ले में, उन रिश्तेदारों में, उन कंधा न देने वालों में आप खुद भी शामिल हैं।
शायद हम मंदिर, मज्जिद बंद होने के बाद अपनी संस्कृति को भूल गए हैं क्योंकि हमारे भगवानों ने और पूर्वजों ने हमें ये तो बिल्कुल भी नहीं सिखाया था कि हम किसी को यूही बेसहारा छोड़ दे विदेशों के तो पता नहीं पर हमारा भारत तो ऐसा बिल्कुल नहीं है या फिर हमने इस बीमारी को भगवान से भी बढ़कर मान लिया है जो हम इतना डर गए हैं।
जरूरत है तो बस इस अंधेरे में रोशनी जलाने की,
उन मरीज़ों को अपनापन का एहसास करने की
ताकि उन्हें भी लगे वो अकेले नहीं है।
क्योंकि हम सब उनके साथ खड़े हैं।
क्योंकि वो सब हमारे अपने हैं।
अंत में सौ बातों की एक बात जीवन और मित्यु सिर्फ उसके हाथ में है।
उसे हम चाह कर भी टाल नहीं सकते।
उस परमात्मा के अलावा कोई उसको एक सेकेंड के लिए भी आगे पीछे नहीं कर सकता।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय प्रेम कथा

#पार्ट_1 नोट- ये कहानी काल्पनिक हो सकती है इसको अन्यथा न ले बस रोमांच के लिए इसको पढ़े तो बेहतर होगा।। प्यार, मोहोब्बत, इश्क़, वफ़ा ये वो शब्द ...