उसका
स्वभाव उसका दिमाग सब बदल गया, पहले तो वो ऐसा नहीं था अब तो उसका अंदाज बदल गया।
जब
मिला था बहुत मासूम था वो, आज तो उसका पुरा लिबास ही बदल गया।
मैं
फिजूल में सोचता था कोई दिल ना तोड़ दे उसका, मुलाकात के बाद तो ये सवाल ही बदल
गया।
बड़ी
नाजुक थी उसके हाथों की रेखा, अब उसकी किस्मत के साथ-साथ उसकी हाथों की लकीरों का
जाल ही बदल गया।
मैं
खामखा सोचता था वो मुझसे बिछड़कर पागल हो जाएगा, जब उससे नजरें मिली तो मेरा विचार
बदल गया।
और
मैं कैसे भरोसा करु उस शख्स पर, जो मुझे मंजिल पर छोड़कर अपना रस्ता बदल गया।।
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