ना तो वो
मिलते है ना ही बात करते है, पर कल कोई कह रहा था केशव वो तुम्हे याद बहुत करता
है।
मौहोब्बत तो
मुझे भी खूब है उनसे, पर दिल टूटता है जब वो नज़र अंदाज करता है।
डर सताता है
कि वो मेरी मौहोब्बत का तमाशा बना देगा, समझ नहीं पा रहा उसे भी मौहोब्बत है या बस
टाईम पास करता है।
ठान लिया है
मरते दम तक उसी को चाहुगा, कल एक मौलाना कह रहे थे इस कलयुगी दुनिया में कौन किसको
याद करता है।