वो हंसकर अपना हर वादा तोड़ गया... कुछ इस तरह वो मेरा दामन छोड़ गया|
जो हर रोज कहता था कि तुम्हें चांद लाकर दूंगा... मंजिल करीब आने पर वो रास्ता छोड़ गया|
और जिसने यकीन दिलाया था कि मेरी मोहब्बत कबूल होगी... आज भरी महफिल में वो मुझे तन्हा छोड़ गया|
जवाब नहीं उसकी वफा का... हमें गुनहगार कहकर हमारी बेगुनाही का सबूत छोड़ गया|
जो हर रोज कहता था कि तुम्हें चांद लाकर दूंगा... मंजिल करीब आने पर वो रास्ता छोड़ गया|
और जिसने यकीन दिलाया था कि मेरी मोहब्बत कबूल होगी... आज भरी महफिल में वो मुझे तन्हा छोड़ गया|
जवाब नहीं उसकी वफा का... हमें गुनहगार कहकर हमारी बेगुनाही का सबूत छोड़ गया|