इन अंधेरी रातों में हर सपना खो गया है
बंद आंखों में हर अरमान सो गया है
और वो भी दिन थे जब हर रोज़ तुम्हारा दीदार होता था
अब तो तुम्हे देखे भी एक लंबा अरसा हो गया है।।
एक तम्मना थी तुम्हारी काली आंखों में डूबने की
एक ख्वाब था तुम्हे चूड़ियां पहनाने का
हर रात टिमटिमाते थे जो ख्वाब, उनमे अन्धेरा हो गया है
देखो न तुम्हे देखे एक लंबा अरसा हो गया है।।
और सुनों मोहोब्बत-ए-हमसफ़र अब जीना मुश्किल है
क्योंकि पतझड़ के इस मौसम को बसंत से प्यार हो गया है
दोनों का मिलना मुमकिन नहीं, अब तो इस दुनिया से ही गिला हो गया है
और तुम्हे एहसास भी है हमें मिले एक लंबा अरसा हो गया है।।