गुरुवार, 17 अक्टूबर 2019

फिर उसे मेरी याद रुला रही होगी...


आज फिर उसे मेरी याद रुला रही होगी,
         जब वो करवा चौथ की महंदी लगा रही होगी।
रचा के दोनों हाथों में सुर्ख काली मेहंदी,
         फिर गुस्से में मेहंदी से मेरा नाम मिटा रही होगी।
याद आ रही होगी पिछले बरस की रातें उसको,
        वो खिड़की से चांद को देखकर नज़रें चुरा रही होगी।
पूरी रात गुजरेगी कश्मकश में उसकी,
        फिर आधी रात में वो तकिए को सीने से लगा रही होगी।
सोच रही होगी बीते साल को वो,
            लाल जोड़ा पहनकर चूड़ियां खन्ना रही होगी।
और खाए सा जा रहा होगा रात का चांद उसे,
         वो अपनी उंगलियों को दांतों में दबा रही होगी।
पल भर में सोच रही होगी हजारों बार मुझे,
        आंखों में भरे समुद्र को बूंद बूंद बहा रही होगी।
आज पछता रही होगी बीते कल पर बहुत,
        खुद को मेरी बेवफाई के किस्से सुना रही होगी।
आज फिर उसे मेरी याद रुला रही होगी
         जब वो करवा चौथ की महंदी लगा रही होगी।


अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय प्रेम कथा

#पार्ट_1 नोट- ये कहानी काल्पनिक हो सकती है इसको अन्यथा न ले बस रोमांच के लिए इसको पढ़े तो बेहतर होगा।। प्यार, मोहोब्बत, इश्क़, वफ़ा ये वो शब्द ...