वो चालाक सी लड़की अब कमाल सी लगती है,
जब देखा था उसे तो कुछ खास नहीं थी… आज वही बेमिसाल सी लगती है।
शायद मुझे उससे मोहब्बत सी हो गई है,
यही वजह है की वो भीड़ में भी मुझे अब नायब सी लगती है।
न जाने कौन सा ताबीज़ पढ़ा है उसने मेरे नाम का,
अब उसकी काली जुल्फ़े भी मुझे रेशम का जाल लगती है|
और पहले तो वो अपनी पायल के शोर से मेरे ख्वाबो पर राज करती थी,
अब तो उसकी बिंदिया, टिक, लोग मुझपर चौतरफ़ा वार करती है।
कुछ वक्त के लिए तो मैं खुद को भूल जाता
हूं
जब भारी भीड़ में चुपचाप आकर वो मेरे कानों में आहट भारी आवाज़ करती है।
न जाने कहा से गज़ब के मौलाना से पानी पढ़कर मुझे पिलाया है उसने,
आईने में खुद का अक्स देखते हुए भी लगता है कि वो सामने से मेरा
दीदार
करती है।
और मुझे यकीन है कि इस मोहोब्बत में मैं ही जान से जाऊँगा,
क्योंकि वो बहोत चालक लड़की है वो शौकीन है आराम से हलाल करती है।