गुरुवार, 17 अक्टूबर 2019

फिर उसे मेरी याद रुला रही होगी...


आज फिर उसे मेरी याद रुला रही होगी,
         जब वो करवा चौथ की महंदी लगा रही होगी।
रचा के दोनों हाथों में सुर्ख काली मेहंदी,
         फिर गुस्से में मेहंदी से मेरा नाम मिटा रही होगी।
याद आ रही होगी पिछले बरस की रातें उसको,
        वो खिड़की से चांद को देखकर नज़रें चुरा रही होगी।
पूरी रात गुजरेगी कश्मकश में उसकी,
        फिर आधी रात में वो तकिए को सीने से लगा रही होगी।
सोच रही होगी बीते साल को वो,
            लाल जोड़ा पहनकर चूड़ियां खन्ना रही होगी।
और खाए सा जा रहा होगा रात का चांद उसे,
         वो अपनी उंगलियों को दांतों में दबा रही होगी।
पल भर में सोच रही होगी हजारों बार मुझे,
        आंखों में भरे समुद्र को बूंद बूंद बहा रही होगी।
आज पछता रही होगी बीते कल पर बहुत,
        खुद को मेरी बेवफाई के किस्से सुना रही होगी।
आज फिर उसे मेरी याद रुला रही होगी
         जब वो करवा चौथ की महंदी लगा रही होगी।


सोमवार, 16 सितंबर 2019

चालाक सी लड़की...


वो चालाक सी लड़की अब कमाल सी लगती है,
जब देखा था उसे तो कुछ खास नहीं थी आज वही बेमिसाल सी लगती है।
शायद मुझे उससे मोहब्बत सी हो गई है,
यही वजह है की वो भीड़ में भी मुझे अब नायब सी लगती है।
जाने कौन सा ताबीज़ पढ़ा है उसने मेरे नाम का,
अब उसकी काली जुल्फ़े भी मुझे रेशम का जाल लगती है|
और पहले तो वो अपनी पायल के शोर से मेरे ख्वाबो पर राज करती थी,
अब तो उसकी बिंदिया, टिक, लोग मुझपर चौतरफ़ा वार करती है।
कुछ वक्त के लिए तो मैं खुद को भूल जाता हूं
जब भारी भीड़ में चुपचाप आकर वो मेरे कानों में आहट भारी आवाज़ करती है।
जाने कहा से गज़ब के मौलाना से पानी पढ़कर मुझे पिलाया है उसने,
आईने में खुद का अक्स देखते हुए भी लगता है कि वो सामने से मेरा दीदार करती है।
और मुझे यकीन है कि इस मोहोब्बत में मैं ही जान से जाऊँगा,
क्योंकि वो बहोत चालक लड़की है वो शौकीन है आराम से हलाल करती है।



रविवार, 10 फ़रवरी 2019

अंधेरी रातों मे उजाले की रोशनी जला रहा हूं































अंधेरी रातों मे उजाले की रोशनी जला रहा हूं, हार कर भी खुद को जीत का एहसास दिला रहा हूं।
दरवाजे जंग खाए जा रहे है कामयाबी के, मैं तालो में चाबियां घुमाए जा रहा हूं।
ना जाने किस मंजिल की तालाश में हूं मैं, अनजाने सफर पर बस चलता जा रहा हूं।
लोग कह रहे है तो सुमुद्र है, किसी को क्या पता कि एक तालाब सा सूखता जा रहा हूं।।
मायूसी इस कदर है की हर मौड़ पर इंतजार में है मेरे, मैं उसी से पता पूछकर आगे बढ़ता जा रहा।
लक्ष्य कुछ नहीं है जिंदगी का, फिर भी ना जाने किसी कटी पतंग की डोर से बंधा उड़ता जा रहा हूं। 
दिल को यकीं दुला रहा हूं कि मैं खुश हूं, पता नहीं  दिल विश्वास दिला रहा हूं, या दिमाग को झूठा करा रहा हूं।
किसी रोज चांद सा चमकता था मैं, पर अब तो शाम के सूरज की तरह डूबता जा रह हूं।।
सपने निलाम है मेरी और खुशियां गिरवी रखी है, मेरी औकात देखो अब आसुओं का भी सौदा करने जा रहा हूं।
कमी तो किसी चीज़ की नहीं है मुझे, ना जाने किसकी तालाश में बंजारा सा घूमता जा रहा हूं।
ना जाने क्या दुश्मनी है मेरी और वक्त की, ये मुझे मुझ मुझसे से दूर या मैं अपनो से दूर जा रहा  हूं।।

अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय प्रेम कथा

#पार्ट_1 नोट- ये कहानी काल्पनिक हो सकती है इसको अन्यथा न ले बस रोमांच के लिए इसको पढ़े तो बेहतर होगा।। प्यार, मोहोब्बत, इश्क़, वफ़ा ये वो शब्द ...